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उत्तराखंड पहाड़ी गांवों में शादी में विदाई के समय दुल्हन को डोली में बिठाकर ले जाते हैं,,,
जिसे डोली विदाई कहा जाता है,,, इसी में दुल्हन अपने ससुराल जाती है,,,
डोली प्राय लकड़ी की बनी होती है,,, बैठने के लिए इसमें पट्टी (strip) से बुनाई की जाती है,,,
डोली को रस्सी के सहारे बांस की डंडी मोटी डंडी से बाँधा जाता है
जिससे इसको उठाने में आसानी होती है,,,
डोली के ऊपर से ओढने के लिए कवर बनाया जाता है,,,
और टॉप में एक चांदी का छतर लगाया जाता है,,
जिसके कारण डोली बहुत ही आकर्षक नज़र आती है,,, |
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लकड़ी की बल्लियों के सहारे डोली को चार लोग कंधे पर उठाते हैं,,, |
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दुल्हन को डोली में बिठाते हुए,,, |
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दुल्हन के भाई डोली ले जाते हुए,,,, |
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डोली के आगे पीछे बाराती लोग भी खुशी से चलते हुए,,,, |
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पहाड़ी पर रास्ते चढाई/ढलान वाले व संकरे होते हैं,,, जिन पर बड़ी सावधानी से डोली को ले जाना होता है,,,
एक अद्भुत फोटो कैप्चर आप देख सकते हैं इसमें,,, ;)
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चढ़ाई पर ले जाते हुए,,, |
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खाली डोली को शादी की गाड़ी की छत में बांधते हुए,,,
(नोट: दुल्हन गाड़ी के अन्दर बैठी हैं,,, :) ;) ) |
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दुल्हन के ससुराल में दुल्हन को फिर से डोली में बिठाकर उसके घर (ससुराल वाला) तक ले जाते हैं,,,
© vikas gaur | gaur.vikas33@gmail.com |
यह उत्तराखंड की संस्कृति का एक भाग है