Monday, 22 September 2014

ब्रह्मभोज (पंक्ति में बैठ कर भोजन करना)








ALAKNANDA RIVER | अलकनंदा नदी (UTTARAKHAND)

देवप्रयाग मोर्निंग दृष्य....

श्रीनगर गढ़वाल सीमा प्रारंभ.....

एक आर्टिस्टिक दृश्य... अलकनन्दा व पहाड़ की सुन्दरता का....

अलकनन्दा नदी एक मनमोहक दृष्य... टेडी-मेडी पर्वतो के बीचों बीच से शांत होकर बहते हुए... 

अलकनन्दा नदी पर बनता पर्वतों का सुन्दर प्रतिबिम्ब.

श्रीकोट के थी नीचे.... श्रीनगर डेम से कुछ दूरी पर अलकनन्दा नदी पर बना टापू....

"माँ धारी देवी" मंदिर के नज़दीक...

बस की खिड़की से ये सुन्दर कैप्चर.... 
सूर्य उदय से कुछ समय बाद का...
खेतों में सरसों के फूलो पर औंस की बूंदों की चमक.....
साथ में बहती अलकनन्दा नदी... और विशाल पहाड़...

देव प्रयाग या विष्णु प्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी का संगम होता है
और इसके बाद अलकनंदा नाम समाप्त होकर केवल गंगा नाम रह जाता है।

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पन्देरा (प्राकृतिक जल श्रोत) | NATURAL WATER

अपने उत्तराखंड में हर गाँव में पीने के पानी के प्राकृतिक जल श्रोत होते हैं..
24 x 7 स्वादिष्ट, ताजा, स्वच्छ व मीठा पानी
जिन्हें स्थानीय भाषा में पन्देरा कहा जाता है...
इन नलों पर गर्मियों में ठंडा और शर्दियों में गुनगुना जल आता है...

कई वर्षो से ये पन्देरे यूं ही 24 x 7 निरंतर बहते आ रहे हैं...
मनुष्य को जीवन देने वाले जल के इन श्रोतो की हमारे पहाड़ो (उत्तराखंड) में पूजा की जाता है...
और इन जगहों पर आपको भगवान की भिन्न भिन्न प्रकार की आकृतियाँ भी नज़र आएँगी..
जेसा की आप... फोटो में आप देख सकते हैं भगवान गणेश की मूर्ति को...

पाणी के इन पंदेरो में इतना स्वादिष्ट, मीठा व ठंडा पाणी आता है कि..
प्यास बुझ जायेगी आपकी

... पर पाणी पीने की इच्छा ख़त्म नहीं होगी...

ठंडो रे ठंडो,,,,, मेरा पहाड़े की हवा ठंडी पाणी ठंडो....



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Pahadi Boys | स्कूलिया छोरा

ये दोस्तीं हम नहीं तोड़ेंगे....
ये है दोस्तों अपना बचपन.... अनगिनत शरारतों से भरा.....

मैं स्वयं अपने बचपन (बीते हुए कल) के साथ फोटू में... यादगार पल...

स्कूल से घर जाती विद्यार्थियों की ये टोली....बड़े ही मस्त मौला,,, हंसमुख,,,, साहसी,,,, फ्रेंडली.,,,,,,, 

गिच्ची आ कर बल.... (मुह खोलना जरा..)

गुस्से वाले  एक्शन में भाई जी.....

रोमांटिक कूल पोज देते हुए 

स्टाइलिश पहाड़ी बॉयज ,,,,,,,,,, फ्रेंड्स फॉर एवर......


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Saturday, 20 September 2014

न्यार का खुम्ब | NYAAR KA KHUMB

“न्यार (पराल) का खुम्ब"

“न्यार (पराल) का खुम्ब"
धान के पौधे से मंडाई के बाद बाकि बचे हिस्से (घास) को न्यार (पराल) कहते हैं,
उसे सुखा कर इस प्रकार से पेड़ों में पूली (गढ़री) बांद के रखते हैं. इसे “खुम्ब” कहते हैं. इस प्रकार से सूखी घास को
लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जाता है.., और जब जगलों में घास की कमी होती है...
उस समय इस खुम्ब से न्यार की गठरी निकालते हैं और पशुओं के घास/चारे के रूप में देते हैं...

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पिठाई / तिलक

पिठाई / तिलक लगाने का हमारे उत्तराखंड में एक शिष्टाचार होता है.....

जब भी कोई मेहमान पहली बार घर आता है उसके स्वागत और विदाई
के समय पिठाई (तिलक) लगाकर स्वेच्छानुसार दक्षणा दी जाती है...

फोटो में गाँव की एक शादी के दौरान, बाराती मेहमानों को पिठाई (तिलक) लगाते हुए पंडित जी... और
साथ में दक्षणा देते हुए दुल्हन के चाचा जी... :)

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Friday, 19 September 2014

तोलु, गेडू, चासनी | Tolu, Gedu, Chasnii

गाँव की एक शादी में चासनी (कड़ाई की आकृति का बड़ा बर्तन) में सब्जी बनाते हुए....

हमारे पहाड़ों (गाँव) में शादी ब्याह व अन्य बड़े प्रोग्राम में इन बर्तनों में भोजन बनाया जाता है...

तोलु : पकवान के लिए पाणी गरम करने के लिए... (ये ताम्बे का बना होता है..)

गेडू : दाल बनाने के लिए... इसमें बनी दाल का स्वाद बहुत ही स्वादिष्ट होता है... (पीतल व मिक्स धातु का बना होता है...)

चासनी : इसमें सूजी, भात (चावल), सब्जी इत्यादि बनाये जाते हैं.... (लोहे का बना होता है...)

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Thursday, 18 September 2014

Home made पुडखा (दोना)

पुडखा (दोना)

Home made पुडखा (दोना)**************************
ये मूल रूप से मालू (स्थानीय भाषा में एक पेड़ का नाम) के पत्ते व बांस की डंडी (sticks) से बनाया जाता है...
पत्तो को दोने का आकर देकर उसमे बांस की स्टिकस से पंच किया जाता है...
सबसे अच्छी बात ये दोने... १००% ECO FRIENDLY 
होते हैं...
गाँव में शादी व अन्य कार्यक्रम में इनमे भोजन भी किया जाता है और उपयोग के  बाद ये पत्ते
गाय, भेंस के घास/चारे के काम भी आते हैं... दुखद बात ये हे की अब इनका अस्तित्व समापन की और है......
धीरे-धीरे इनकी जगह प्लास्टिक वाले दोने ने ले ली है... जिनसे की अजेविक कूड़ा फैलता है...

अब पुडखे का उपयोग ज्यादातर पूजा-पाठ की सामग्री रखने के लिए ही किया जाता है... ||
नोट : यदि आप और बेहतर तरीके से पुडखे के बारे में जानकारी एक्सप्लेन कर सकते हैं
कृपया मुझे ई-मेल करें..

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Kaali Daal Ke Pakode | काळी दाल का पकोड़ा

एक शादी के दौरान गाँव की मात्र शक्ति पकवान बनाने के लिए  दाल पीसते हुए...

दाल पिसाई के समय ये फोटो.... स्माईल प्लीज़.... :)

काली दाल को पीसने के बाद पकोड़े बने के लिए उसमे नमक, हल्दी मिलाकर
इस प्रकार से मिश्रण तैयार किया जाता है..
.

अब इस मिश्रण को गरम तेल की कड़ाई में डालेंगे....
पकाने के लिए......कुछ देर अच्छी तरह से दोनों साइड पलट के...
और ये आपके पकोड़े रेडी..... :) 
अब टेस्ट कीजिये स्वादिष्ट व पोष्टिक काली दाल के पकोड़े...
हमारे पहाड़ो (गाँव) में हर शुभ कार्य में काली दाल के पकोड़े बनाने का रिवाज़ है...
बड़े कार्यों में पकोड़े काफी मात्रा में बनाये जाते हैं हैं....
जिनको बनाने में गाँव की नारी शक्ति का पूर्ण सहयोग होता है...
और सबसे अच्छी बात मिलझूल कर का करने से आपसी प्रेम बढता है...
जिसे आप इन फोटोज में महसूस कर सकते हैं... :)
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Wednesday, 17 September 2014

Pahadi Hukka

गाँव में एक बुजुर्ग हुक्का पीते हुए...


Pahadi Boy Enjoying Kasssh of Hukka...

गाँव में बुजुर्ग हुक्का के साथ साथ कुछ हँसी मजाक की बाते करते हुए....

मैं स्वयं हुक्के कि कस्स लेने की तैयारी में....

एक प्रयास हुक्के की २ फीट लम्बी नली से धुआ खीचने का..

ये भाई साहब भी हुक्के के साथ पोज़ देते हुए
इस पल को यादगार बनाते हुए...

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और ये अकेला सम्पूर्ण हुक्का...
जाने कितनि बैठको की रौनक रह चूका होगा...
इसकी गुड-गुड की आवाज़ के साथ साथ हमने
अपने बुजुर्गो से जाने कितने
हँसी-मजाक, पुराने किस्से, कहानिया, ज्ञान की बाते सुनी होंगी
एक समय था जब गाँव के हर घर में हुक्के हुआ करते थे...
पर आज स्वयं हुक्के का अस्तित्व खतरे में....
हुक्का अब गाँव के एक-दो बुजुर्गो के पास में ही मिलेगा

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Pahadi Boys....


गाँव में दोस्त लोग शादी में रोटी बनाने के लिए आटा गुन्द्थे हुए... 
हमारे पहाड़ों (गांवो) में हम बॉयज बहुत हेल्प करते हैं घर-गाँव के हर छोटे बड़े काम में... :)

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